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Wednesday, November 10, 2010

YADAIN

अब तो यही तेरी ज़िन्दगी बन गयी है राजन
कभी गुज़रती है यादों के गलियारों से तो
कभी किसी के  सपनो से
बस ज़िन्दगी का हर एक लम्हा याद बनता जा रहा है
दोस्तों के साथ बिताये जा रहे पल फरियाद बनता जा रहा है
आँखों को नम कर के भी कितनी ख़ुशी देती है वो यादें
जब आए थे ओ पल न जाने कितनी ख़ुशीया
पता न था की आज वो मीठे दर्द बन जायेंगे

इन आखो को तो भरोसा भी न था की ये कुछ इस तरह बह जायेंगे
बहुत याद आते है वो लम्हे
बहुत तद्पाते   है वो लम्हे
काश कोई जादू की छड़ी  होती  हाथो में
फिर लौटा देता उन लम्हों को
पर क्या करे?
जीना तो है इन्ही  यादों के साथ
शायद  इस राहगीर का सुकून बन जाये
और चलता रहू इन यादों के साथ
ये हसीं भी है पर मीठे दर्द  के साथ कैसे छोड़  दू इन्हें
इसी ने तो मुझे एक नया पल दिया  इसी ने तो मुझे एक नया कल दिया.................

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